
पुराने बालक छात्रावास को जीर्णोद्धार कर बनाया गया जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक
जीर्णोद्धार हेतु 30.75 लाख रुपए की हुई थी स्वीकृति
अधूरा निर्माण, हल्की और अधूरी पुट्टी के साथ – साथ अधूरी पुताई भ्रष्टाचार की ओर कर रहा इशारा
सूरजपुर – ” हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ” ?
भ्रष्टाचार को लेकर बार – बार कही जाने वाली इन पंक्तियों को शायद आपने सैकड़ों बार सुना होगा l जब कभी भी भ्रष्टाचार की बात आती है तो अनायास ही ये शायरी हमारे जहन में आ जाता है l
जहां एक ओर भ्रष्टाचारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे वहीं देश के विकास को लेकर लोगों की उम्मीदें भी धूमिल होती नजर आने लगी हैं l गांव से लेकर शहर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार नित नए योजनाओं को लागू करती हैं और उसके लिए पर्याप्त धन मुहैया करती हैं

विदित हो कि योजनाओं के सफल संचालन हेतु उपलब्ध कराए गए धनराशि के उचित व्यय हेतु विभागों को एजेंसी बनाकर कार्यों का निष्पादन किया जाता है l लेकिन दुर्भाग्यवश जिम्मेदार एजेंसी के कुछ अधिकारी – कर्मचारी प्रायः जनहित को दरकिनार कर स्वहित को प्राथमिकता देते हुए सारे नियम – कानून को ताक में रखकर सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा देते हैं l
निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की आशंका को लेकर एक ऐसा ही मामला इन दिनों जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है l दअरसल पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत देवनगर का है जहां ग्रामीणों की जरूरत और मांग पर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा खोलने की शुरुआत की गई l स्थानीय पंचायत में कोई नया भवन उपलब्ध न होने के कारण पुराने और जर्जर हुए बालक छात्रावास को ही जीर्णोद्धार कर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा बनाने की योजना तैयार की गई l

सुत्रों ने बताया कि जीर्णोद्धार के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास (डी एम एफ) सूरजपुर ने 30.75 लाख रुपए मुहैया कराया इसके लिए निर्माण एजेंसी के रूप में छ. ग. गृह निर्माण मंडल परियोजना कोरिया ने काम किया l निर्माण स्थल पर लगे सूचना बोर्ड के अनुसार भवन के जीर्णोद्धार का कार्य दिनांक 10/03/2023 से प्रारंभ हुआ और द्रुत गति से काम आगे बढ़ते हुए दिनांक 08/06/2023 को कार्य पूर्ण कर दिया गया l
यहां तक तो सब कुछ ठीक है लेकिन सबसे हैरत की बात यह है कि इस जर्जर भवन के जीर्णोद्धार के बाद आज भी दीवारों पर आधी – अधूरी पुट्टी, और पुताई साफ तौर पर देखा जा सकता है l और तो और भवन के पीछे के दीवारों पर कहीं कहीं प्लास्टर तक दिखाई नहीं देता l अनमने तरीके किए गए काम का आलम यह है कि हल्की पुट्टी के छोड़ देने से दीवार के अंदर की दरारें अपने जर्जर होने का सबूत आज भी दे रही हैं l ऐसे में भवन के जीर्णोद्धार हेतु स्वीकृत 30.75 लाख की मोटी राशि और उसपर खर्च की गई राशि अपने आप में कई सवाल करने लगी है l यहां तक कि कार्य पूर्ण होने के बाद किए गए भौतिक सत्यापन को लेकर भी ग्रामीण तरह तरह के सवाल उठा रहे हैं l
इस मामले को लेकर पूरी जानकारी हेतु जब डीएमएफ से संबंधित अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि –
“अभी अभी ये जानकारी मेरे संज्ञान में आया है, मामले जानकारी लेने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी l ”
रमेश मोर
डिप्टी कलेक्टर
गौरतलब है कि डीएमएफ घोटालों को लेकर प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर पूर्व में कुछ बड़े खुलासे कर चुके हैं जिसके कारण प्रदेश की राजनैतिक गलियारों में भूचाल मचा हुआ है l
ग्रामीणों का आरोप
उधर भवन के जीर्णोद्धार के काम को देखते हुए ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जितनी राशि जीर्णोद्धार में लगाई गई उतने में एक नया भवन बन सकता था l
जांच का विषय
हालांकि डीएमएफ के संबंधित अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दी जा चुकी है लेकिन
– जीर्णोद्धार के कार्य में कितनी पारदर्शिता बरती गई है ?
– अनमने तरीके से किया जीर्णोद्धार का कार्य आखिर क्यों किया गया ?
– स्वीकृत राशि और खर्च की राशि में कोई गड़बड़झाला है या नहीं ?
–
भौतिक सत्यापन करने वाले अधिकारी दोषी हैं या नहीं ?
इन सभी सवालों पर अभी पर्दा उठना बाकी है l
भ्रष्टाचारियों का खत्मा मेरी कलम से होगा बस इंतजार करें l






















































