
सत्ता पक्ष के निरीक्षण और विपक्ष के अल्टीमेटम के बीच पिस रही है जनता, सबकी बातें अब हवा-हवाई
सूरजपुर/भैयाथान सूरजपुर जिले के गोबरी नदी पर बना पुल टूटे अब चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन न स्थायी पुल का निर्माण शुरू हुआ और न ही वादा किया गया रपटे पुल तैयार हुआ। इस दौरान सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक, हर किसी ने मौके का निरीक्षण किया, आश्वासन दिए, बयान दिए, लेकिन नतीजा शून्य।
निरीक्षण पर निरीक्षण, लेकिन ज़मीन पर नतीजा गायब
पुल टूटने के बाद से अब तक मंडल अध्यक्ष भैयाथान, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, मंत्री प्रतिनिधि, विधायक और कैबिनेट मंत्री सभी ने स्थल निरीक्षण किया।
हर बार कहा गया कि काम जल्द शुरू होगा, पर न कोई मशीन पहुँची, न ईंट-पत्थर दिखे। ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा मामला फोटो सेशन और बयानबाज़ी का पुल बनकर रह गया है।
विपक्ष ने दिया था 15 दिनों का अल्टीमेटम अब करेंगे अपने वादों पर अमल या हो गई बातें हवा-हवाई ?
विपक्ष के स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया था कि यदि प्रशासन ने रपटे पुल नहीं बनाया तो हम स्वयं श्रमदान से रपटे पुल का निर्माण करेंगे।
लेकिन समयसीमा बीत चुकी है, और हालात जस के तस हैं। ग्रामीणों का सवाल अब विपक्ष से भी उतना ही तीखा है जितना सत्ता पक्ष से, क्या विपक्ष भी अब उसी राह पर है, जहाँ वादे तो बहुत होते हैं पर अमल नहीं?
10 से 12 पंचायतों की ज़िंदगी ठप
गोबरी नदी पुल के टूटने से 10 से 12 ग्राम पंचायतों के लोगों का जनजीवन प्रभावित है।
बच्चों को स्कूल जाने में खतरा, मरीज़ों को अस्पताल पहुँचने में परेशानी, किसानों की फसल नदी के उस पार फँसी, यह सब अब रोज़ का दृश्य बन चुका है। बरसात के मौसम में ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है।
नेताओं के वादे, जनता का दर्द
सत्ता पक्ष ने कहा निर्माण जल्द शुरू होगा, विपक्ष ने कहा नहीं हुआ तो खुद बनाएंगे, लेकिन दोनों की बातों का हश्र एक ही, काग़ज़ी कार्रवाई और खोखले बयान।
ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि नेता बदलते हैं, लेकिन हमारे हालात नहीं; पुल की मरम्मत से पहले अब भरोसे की मरम्मत ज़रूरी है।
जनता ने दी चेतावनी, अब भरोसा नहीं, खुद बनाएंगे रास्ता
ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर आने वाले दिनों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे जनसहयोग से खुद रपटे पुल का निर्माण शुरू करेंगे। अब न निरीक्षण चाहिए, न बयान, अब चाहिए पुल और समाधान, एक ग्रामीण ने कहा।
सवाल अब सीधा है, क्या गोबरी पुल राजनीति का मैदान रहेगा या बनेगा जनता की राहत का रास्ता ?
चार महीने से जारी यह ठहराव अब प्रशासन की लापरवाही और राजनीति की निष्क्रियता का प्रतीक बन गया है। जनता का धैर्य अब टूटने की कगार पर है और अगर इस बार भी सिर्फ़ आश्वासन मिले, तो आक्रोश आंदोलन में बदलना तय है।





















































