
सूरजपुर – जिला अस्पताल में लापरवाही का सनसनीखेज मामला सामने आया है। प्रसव पीड़ा से तड़पती एक गर्भवती महिला को परिजन इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों और स्टाफ की बेरुखी के कारण उसे तीन घंटे तक बिस्तर पर तड़पती रही । जिसके कारण समय पर उपचार न मिलने से महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों की मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से गैरजिम्मेदार बना रहा। बार-बार गुहार लगाने के बावजूद न तो डॉक्टर पहुंचे और न ही समय पर किसी प्रकार की चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई गई।

परिजनों का आरोप है कि प्रसूता को वार्ड में भर्ती करने के बाद ड्यूटी पर मौजूद ना तो कोई डॉक्टर देखने आए और ना ही नर्स। करीब साढ़े तीन घंटे तक रेखा दर्द से कराहती रही और परिजन इधर-उधर चक्कर काटते रहे.
गौरतलब है कि मितानिन सुगंती राजवाड़े ने भी कई बार गार्ड से डॉक्टर-नर्स को बुलाने की कोशिश की, लेकिन किसी ने दरवाजा तक नहीं खोला

इधर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए बताया कि प्रसूता ने आधी रात ढाई बजे ही दम तोड़ दिया था ये बात अस्पताल प्रबंधन ने हम लोगों से छुपा कर रखा इसके बाद आनन फानन में डॉक्टर और नर्स वार्ड में पहुंचकर आनन-फानन में उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने कहा कि प्रसूता की मौत तो पहले ही हो चुकी है
वहीं मृतका के ससुर ने बताया कि उसकी बहु तीन घंटे तक बिना इलाज के अस्पताल में पड़ी रही। और तो और उन्होंने एंबुलेंस चालक पर आरोप लगाते हुए कहा कि एम्बुलेंस चालक ने उनसे अंबिकापुर ले जाने के लिए 800 रुपये वसूले
बता दें कि मृतिका रेखा का पहले से एक तीन साल का बेटा है. परिवार वाले दूसरे बच्चे के स्वागत की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अस्पताल की लापरवाही से इनकी खुशियां मातम में बदल गई है
इस दर्दनाक घटना के बाद परिजनों में आक्रोश है और उन्होंने दोषी डॉक्टरों व कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।






















































